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क्या बृहस्पति का विशाल लाल धब्बा हमेशा के लिए गायब हो सकता है? 🌌🌀

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ब्रह्मांड में बृहस्पति के विशाल लाल धब्बे ने सदियों से खगोलविदों का ध्यान खींचा है। यह एक बड़ा तूफान है जो बृहस्पति पर लाल रंग के साथ घूमता है। लेकिन हाल के शोध बताते हैं कि यह धब्बा उतना स्थायी नहीं हो सकता जितना हम सोचते हैं। 🪐 Records of a spot on Jupiter in the vicinity of the Great Red Spot (pictured) go back hundreds of years. New research reveals that today’s Great Red Spot is not the same as a spot seen in the 1600s. That spot vanished and, someday, the Great Red Spot could too. इतिहास की झलक 🌠 1600 के दशक में, खगोलविदों ने बृहस्पति पर एक अंधेरे, अंडाकार आकार का धब्बा देखा था। इसे "स्थायी धब्बा" कहा गया। लेकिन 1713 के बाद बृहस्पति के अवलोकनों में इस स्थायी धब्बे के कोई संकेत नहीं थे। 1831 में एक नया धब्बा दिखाई दिया जो आज के विशाल लाल धब्बे जैसा था। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि ऐतिहासिक अवलोकन बताते हैं कि यह धब्बा धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है। स्पेन के खगोलविद अगस्टिन सांचेज़-लावेगा ने एक टीम का नेतृत्व किया और 350 वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। क्या विशाल लाल धब्बा...

🚨 आईएसएस में रिसाव का खतरा: नासा और रूस की चेतावनी – स्पेस स्टेशन पर 50 'सुरक्षा चिंताएं' 🚨

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अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में लंबे समय से चल रहे रिसाव को लेकर नासा और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने नई चिंता जताई है। 2019 में शुरू हुए इस रिसाव की जांच के दौरान 50 'सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों' की पहचान हुई है, जिसमें चार दरारें भी शामिल हैं। यह मामला अब अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा जोखिम बन गया है। The International Space Station.   (Image credit: NASA) आईएसएस के रिसाव की समस्या और समाधान का प्रयास नासा के ऑफिस ऑफ़ द इंस्पेक्टर जनरल (OIG) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि इस रिसाव को ठीक करना अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक शीर्ष प्राथमिकता है। रिसाव का स्रोत रूसी ज़्वेज़्दा मॉड्यूल है, जिसमें दरारें पाई गई हैं। रिसाव के स्थान के पास एक हैच भी है, जिसे रात में अधिकतम बंद रखने के लिए नासा और रोस्कोस्मोस के बीच एक समझौता हुआ है। हालांकि नासा का कहना है कि फिलहाल यह रिसाव किसी तत्काल खतरे का संकेत नहीं है, लेकिन यह सुरक्षा सूची में 5 में से 5 के स्तर पर है। इस जोखिम को देखते हुए नासा के अंतरिक्ष यात्री अ...

"आर्टेमिस III के चंद्र लैंडिंग स्थल की पहचान: मानचित्रण और AI तकनीकों से सामने आए आदर्श स्थान"

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 एक अद्वितीय अध्ययन में वैज्ञानिकों ने नासा के आर्टेमिस III मिशन के लिए संभावित लैंडिंग स्थलों की पहचान की है, जिसमें उन्नत भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) और मल्टी-क्राइटेरिया डिसीजन-मेकिंग (MCDM) तकनीकों का उपयोग किया गया है। यह शोध Acta Astronautica में प्रस्तुत किया गया है और arXiv प्रीप्रिंट सर्वर पर उपलब्ध है, जो मानचित्रण और AI-आधारित एल्गोरिदम को मिलाकर चंद्र लैंडिंग स्थलों को निर्धारित करने का एक नया तरीका प्रस्तुत करता है। The 13 candidate landing site regions for NASA’s Artemis III mission, with each region measuring approximately 15 by 15 kilometers (9.3 by 9.3 miles). Final landing sites within those regions measure approximately 200 meters (656 feet) across. Credit: NASA NASA ने चंद्र दक्षिणी ध्रुव के पास 13 संभावित लैंडिंग क्षेत्रों की पहचान की, जिसमें एक खास जगह सामने आई है। Nobile Rim 2 के पास स्थित साइट DM2 को सबसे आदर्श स्थान माना गया है, जहाँ सौर रोशनी, पृथ्वी के साथ संचार, और स्थायी रूप से छायांकित क्षेत्रों (PSRs) में बर्फ की संभावित जमाओं जैसी प्रमुख आवश्यकता...

नासा का पार्कर सोलर प्रोब अपने अंतिम शुक्र ग्रह फ्लाईबाई के लिए तैयार!

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 नासा का पार्कर सोलर प्रोब अपने सातवें और अंतिम शुक्र ग्रह फ्लाईबाई के लिए 6 नवंबर, 2024 को तैयार है। अंतरिक्ष यान ने 26 अगस्त को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, जिससे यह शुक्र ग्रह के और करीब पहुंच सके। यह अंतिम फ्लाईबाई प्रोब को सूर्य की सतह से केवल 3.8 मिलियन मील की दूरी तक पहुँचने के लिए महत्वपूर्ण है। Venus imaged by the Magellan spacecraft. Credit: NASA/JPL इस कदम से प्रोब 386 मील और करीब आ गया, जिससे यह शुक्र ग्रह की सतह से 240 मील की दूरी पर पहुँचेगा। शुक्र की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का उपयोग करके, पार्कर प्रोब सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा को और कसने का प्रयास कर रहा है। शुक्र से गुजरने के बाद, पार्कर प्रोब 24 दिसंबर, 2024 को 430,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से सूर्य के पास से गुजरेगा । इस मिशन का वर्तमान चरण, 21वीं कक्षा , 30 सितंबर, 2024 को समाप्त होगा, जब यह सूर्य की सतह से सिर्फ 4.51 मिलियन मील की दूरी पर होगा। By:- Ranjan #ParkerSolarProbe, #VenusFlyby, #NASA, #SunMission, #SpaceExploration, #ScienceNews, #Astronomy, #SolarSystem, #BreakingBarriers,

जीवन की उत्पत्ति की खोज: खगोलजीवविज्ञानी मनस्वी लिंगम का पृथ्वी के सबसे बड़े रहस्यों को सुलझाने का सफर

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 फ्लोरिडा टेक के खगोलजीवविज्ञानी मनस्वी लिंगम बचपन से ही जीवन की उत्पत्ति के रहस्यों से मोहित रहे हैं। बचपन में, वे अपने परिवार से डायनासोर और एलियंस के बारे में सवाल पूछते रहते थे, ताकि यह समझ सकें कि जीवन अन्य ग्रहों पर कैसे अस्तित्व में हो सकता है। Credit: Pixabay/CC0 Public Domain आज, लिंगम ने अपनी बचपन की जिज्ञासा को क्रांतिकारी शोध में बदल दिया है। उनका नवीनतम अध्ययन बेयेसियन विश्लेषण का उपयोग करके पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के संभावना का पता लगाता है। फ्लोरिडा टेक और रोम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ, लिंगम ने मॉडल बनाए हैं ताकि यह विश्लेषण किया जा सके कि पृथ्वी पर कितने स्थान जीवन के लिए उपयुक्त हो सकते हैं और उन स्थानों पर जीवन उत्पन्न होने की संभावना क्या है। आश्चर्यजनक रूप से, लिंगम ने पाया कि जीवन के लिए उपयुक्त स्थानों की संख्या कम होने से जीवन उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। यह परिणाम सामान्य धारणा को चुनौती देता है कि "ज्यादा बेहतर है," और पृथ्वी और संभावित अन्य ग्रहों पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में सोचने के नए तरीके खोलता है। अपने नवोन्मेषी मॉड...

ध्रुव तारे का नया रहस्य: पोलारिस की सतह पर चौंकाने वाले खुलासे!

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 वैज्ञानिकों ने ध्रुव तारे पोलारिस के बारे में अभूतपूर्व जानकारी उजागर की है! जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के CHARA Array का उपयोग करके, खगोलविदों ने इस तारे की सतह के अद्वितीय और अद्भुत दृश्य प्राप्त किए। पोलारिस का व्यास हमारे सूर्य से 46 गुना बड़ा है और इसकी सतह पर बड़े-बड़े धब्बे पाए गए हैं जो ब्रह्मांडीय विकास से जुड़े रहस्य प्रकट कर सकते हैं! New findings from the CHARA Array reveal significant details about Polaris, including its immense size and surface anomalies. These observations help refine our understanding of Cepheid variables, which are essential for gauging astronomical distances and studying the universe’s expansion. (Artist’s concept.) Credit: SciTechDaily.com नाविकों के मार्गदर्शक के रूप में प्रसिद्ध पोलारिस एक सेफीड प्रकार का तारा है, जो ब्रह्मांडीय दूरी मापने और ब्रह्मांड के विस्तार को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में 20 अगस्त को प्रकाशित इस अध्ययन में पोलारिस की सतह के बदलते विवरण पहली बार सामने आए हैं, जिससे इसकी संरचना और विक...

चांद पर हाल ही में ज्वालामुखी गतिविधि की खोज! इतिहास बदलने वाला खुलासा 🌕🔥

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 कई दशकों से वैज्ञानिक मानते आ रहे थे कि चांद पर ज्वालामुखी गतिविधि लगभग 2 अरब साल पहले समाप्त हो गई थी। लेकिन, चौंकाने वाली नई खोजों से पता चला है कि चांद पर ज्वालामुखी सिर्फ 120 मिलियन साल पहले तक सक्रिय थे ! यह एक ऐसा खुलासा है, जो चांद के इतिहास को पूरी तरह बदल सकता है। Credit:  NASA/GSFC/Arizona State University यह चौंकाने वाले नतीजे चीन के चांग'ए 5 मिशन द्वारा धरती पर लाए गए चांद के चट्टान और मिट्टी के नमूनों के विश्लेषण से सामने आए हैं। ओशियानस प्रोसेलारम क्षेत्र से एकत्र किए गए इन नमूनों ने अपेक्षा से काफी छोटे ज्वालामुखीय कणों का पता लगाया है, जो वैज्ञानिकों के पिछले अनुमानों को चुनौती दे रहे हैं। इस खोज पर आधारित रिपोर्ट हाल ही में साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुई है। लेकिन सवाल उठता है कि चांद पर ज्वालामुखी गतिविधि इतनी देर तक कैसे चलती रही? इसका जवाब चांद की आंतरिक संरचना में छुपा हो सकता है। हो सकता है कि चांद के कुछ हिस्सों में रेडियोधर्मी तत्वों की अधिकता हो, जो अत्यधिक गर्मी उत्पन्न करते हैं और ज्वालामुखीय विस्फोटों को लंबे समय तक जारी रखते हैं। Irregular mare p...