डार्क मैटर ने सुलझाई 'फाइनल पारसेक प्रॉब्लम', सुपरमैसिव ब्लैक होल्स का रहस्य खुला
वैज्ञानिकों ने 'फाइनल पारसेक प्रॉब्लम' का हल ढूंढ लिया है, जिससे अब सुपरमैसिव ब्लैक होल्स (SMBH) के निर्माण को समझना संभव हो गया है। यह सफलता एक रहस्यमय डार्क मैटर के प्रकार पर आधारित है, जिसे अब इस समस्या का समाधान माना जा रहा है।
An illustration of two supermassive black holes about to collide. (Image credit: Getty)
- सुपरमैसिव ब्लैक होल्स छोटे ब्लैक होल्स के बार-बार मिलन से बड़े होते हैं। लेकिन लंबे समय से वैज्ञानिक इस गुत्थी में उलझे थे कि जब ये ब्लैक होल्स आपस में करीब आते हैं, तो वे टकराने की बजाय एक-दूसरे के चारों ओर अनंत समय तक चक्कर काटते रहते हैं। इसे 'फाइनल पारसेक प्रॉब्लम' कहा जाता है, जिसमें ब्लैक होल्स एक पारसेक (लगभग 3.26 प्रकाश वर्ष) की दूरी पर अटक जाते हैं और उनके पास ऊर्जा खोने का कोई तरीका नहीं होता जिससे वे आपस में टकरा सकें और मिल सकें।
A pair of giant black holes about 3,000 light-years apart in the galaxy NGC 6240, 400 million light-years away. The galaxy's butterfly shape was caused by the collision of two smaller galaxies. (Image credit: Captured by the Chandra X-ray Observatory Photo: NASA/ CXC/ MPE/ S. Komossa et al.)
- हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया है कि 'सेल्फ-इंटरैक्टिंग डार्क मैटर' (SIDM) नामक डार्क मैटर का एक प्रकार ब्लैक होल्स को उनकी ऊर्जा खोने में मदद कर सकता है। इससे ब्लैक होल्स एक अरब वर्षों के भीतर आपस में मिल जाते हैं, जो वैज्ञानिकों द्वारा देखे गए गुरुत्वाकर्षण तरंगों की पृष्ठभूमि की भी व्याख्या करता है।
यह खोज न केवल ब्लैक होल्स के मिलन को समझने में मदद करती है, बल्कि डार्क मैटर के रहस्यमय गुणों के बारे में भी नई जानकारी देती है। भविष्य में अधिक अवलोकन इस सिद्धांत की पुष्टि कर सकते हैं और ब्रह्मांड के छिपे हुए तत्वों को समझने के लिए नए दरवाजे खोल सकते हैं।
By:- Ranjan
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