नासा के स्काई क्रेन ने कैसे बदली मंगल ग्रह की खोज: क्यूरियोसिटी से परसिवरेंस तक

नासा के क्यूरियोसिटी रोवर मिशन की कहानी नवाचार और साहस की है जिसने मंगल ग्रह की खोज को नया आयाम दिया। बारह साल पहले, 5 अगस्त 2012 को, क्यूरियोसिटी ने इतिहास रच दिया जब उसने मंगल पर "स्काई क्रेन" तकनीक का इस्तेमाल कर सफलतापूर्वक लैंडिंग की—एक ऐसी तकनीक जिसने मंगल ग्रह पर खोज के तरीके को हमेशा के लिए बदल दिया।

This artist’s concept shows how NASA’s Curiosity Mars rover was lowered to the plan

  • स्काई क्रेन तकनीक एक नई दिशा थी जो आवश्यकता से उत्पन्न हुई थी। क्यूरियोसिटी इतना बड़ा और भारी था कि उसे पहले के मिशनों की तरह एयरबैग तकनीक से लैंड नहीं कराया जा सकता था। इसके बजाय, नासा के इंजीनियरों ने एक नया तरीका अपनाया: एक रोबोटिक जेटपैक ने रोवर को नायलॉन की रस्सियों से मंगल की सतह पर उतारा, फिर रस्सियों को काटकर रोवर से दूर सुरक्षित रूप से क्रैश लैंडिंग कर दी।

  • इस अनोखी तकनीक ने न केवल अधिक सटीक लैंडिंग की अनुमति दी, बल्कि भविष्य के मिशनों के लिए भी रास्ता खोल दिया, जिसमें फरवरी 2021 में नासा के परसिवरेंस रोवर की लैंडिंग भी शामिल है। टेरेन-रिलेटिव नेविगेशन से लैस इस नए मिशन ने एक प्राचीन झील की चट्टानों और गड्ढों से भरे क्षेत्र में और भी सटीक लैंडिंग हासिल की।


The rocket-powered descent stage that lowered NASA’s Curiosity onto the Martian

  • मंगल ग्रह पर लैंडिंग की तकनीक का विकास नासा की अटूट खोज की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। 1976 में वाइकिंग लैंडर्स के शुरुआती दिनों से लेकर 1997 में मार्स पाथफाइंडर मिशन के इन्फ्लेटेबल एयरबैग तक, हर कदम हमें लाल ग्रह के और करीब ले आया। स्काई क्रेन तकनीक की सफलता ने अब न केवल मंगल पर बल्कि संभावित रूप से चंद्रमा या अन्य ग्रहों पर भी बड़े अंतरिक्ष यानों की डिलीवरी का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

जैसे-जैसे नासा अंतरिक्ष खोज की सीमाओं को आगे बढ़ा रहा है, स्काई क्रेन तकनीक एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में खड़ी है, यह साबित करती है कि नवाचार और दृढ़ संकल्प से सबसे चुनौतीपूर्ण चुनौतियों को भी पार किया जा सकता है।


By:- Ranjan

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