"नया प्रयोग ग्रेविटॉन का पता लगाने और गुरुत्वाकर्षण के रहस्य को सुलझाने की कोशिश"
ब्रह्मांड चार मूलभूत बलों पर आधारित है—गुरुत्वाकर्षण, मजबूत, कमजोर, और विद्युतचुंबकीय बल। जहाँ इन बलों के लिए जिम्मेदार कणों का पता चल चुका है, वहीं रहस्यमयी ग्रेविटॉन अभी तक एक रहस्य बना हुआ है। लेकिन यह जल्द ही बदल सकता है।
It’s thought that gravity consists of minute quantum building blocks called gravitons, but so far they have been too elusive to observe. A new result from Pikovski’s Research Group now shows that next-generation quantum sensors can catch a single one.
- स्टेवेंस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर इगोर पिकोव्स्की के नेतृत्व में एक शोध दल एक क्रांतिकारी विधि का परीक्षण कर रहा है जो एक्वास्टिक रेज़ोनेटर और क्वांटम सेंसर का उपयोग करके व्यक्तिगत ग्रेविटॉन्स का पता लगाने का प्रयास कर रहा है। लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO) द्वारा गुरुत्वाकर्षण तरंगों के पिछले माप से प्रेरित, यह नई विधि गुरुत्वाकर्षण के निर्माण खंड की पहचान करने का लक्ष्य रखती है।
Portrait of Newton in 1702, painted by Godfrey Kneller. Credit: National Portrait Gallery, London
- यह तकनीक आइंस्टीन के फोटो-इलेक्ट्रिक प्रभाव से प्रेरित है—लेकिन इस बार, विद्युतचुंबकीय तरंगों की जगह गुरुत्वाकर्षण तरंगों ने ले ली है। LIGO द्वारा गुरुत्वाकर्षण तरंगों का उपयोग करते हुए, टीम ऊर्जा कंपन का मापन करने की उम्मीद कर रही है, जो संभवतः ग्रेविटॉन्स के अस्तित्व की पुष्टि कर सकते हैं। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो यह भौतिकी के सबसे गहरे सवालों में से एक का उत्तर हो सकता है और ब्रह्मांड की गहन समझ के द्वार खोल सकता है।
LIGO Observatory
हालाँकि, सुपर-सेंसिटिव डिटेक्टर्स अभी विकास में हैं, लेकिन यह प्रयोग क्वांटम गुरुत्वाकर्षण की पहेली को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसने दशकों से वैज्ञानिकों को हैरान कर रखा है।
By:- Ranjan
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